जूनियर नेशनल गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट यश्तिका आचार्य का निधन: Media Punch

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राजस्थान के बिकानेर जिले में मंगलवार को एक दुखद घटना ने पावरलिफ्टिंग जगत में हलचल मचा दी। 17 वर्षीय पावरलिफ्टर और जूनियर नेशनल गेम्स के स्वर्ण पदक विजेता, यश्तिका आचार्य का प्रशिक्षण के दौरान एक घातक हादसे में निधन हो गया।

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हादसे की घटनाक्रम (Yastika acharya news today)

घटना के अनुसार, यश्तिका आचार्य जब जिम में प्रशिक्षण ले रही थीं, तभी 270 किलोग्राम वजन की रॉड अचानक उनके गर्दन पर गिर पड़ी। नया शहर थाना प्रभारी विक्रम तिवारी के अनुसार, हादसे के तुरंत बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसी दौरान, उनके ट्रेनर को मामूली चोटें आईं। घटना के बाद, परिवार ने इस संबंध में कोई मामला दर्ज नहीं करवाया और बुधवार को पोस्ट-मॉर्टम के बाद उनकी लाश परिवार को सौंप दी गई।

यश्तिका आचार्य की उपलब्धियाँ

यश्तिका आचार्य ने अक्टूबर में गोवा में आयोजित नेशनल बेंच प्रेस चैंपियनशिप में सब जूनियर 84 किग्रा और उससे ऊपर के वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी पहचान बनाई थी। उनकी यह उपलब्धि पावरलिफ्टिंग के क्षेत्र में आने वाले युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रही थी।

पावरलिफ्टिंग का परिचय

पावरलिफ्टिंग एक प्रतिस्पर्धात्मक खेल है जिसमें एथलीटों को तीन मुख्य प्रकार के उठाने के मुकाबलों में अधिकतम वजन उठाने की चुनौती दी जाती है:

  • स्क्वाट: इसमें लोडेड बार को कंधों पर पीछे की ओर रखा जाता है, घुटनों को मोड़कर झुकते हुए नीचे जाना और फिर ऊपर उठना शामिल है।
  • बेंच प्रेस: खिलाड़ी बेंच पर लेटते हैं, वजन वाली बार को छाती तक लाते हैं और फिर उसे ऊपर धकेलते हैं।
  • डेडलिफ्ट: इस लिफ्ट में फर्श से वजन उठाकर सीधे खड़ा होना होता है।

आगामी आयोजन

इस वर्ष मेन और विमेन क्लासिक पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप का आयोजन पंजाब के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू), जालंधर, फागवाड़ा में 19 से 23 फरवरी तक किया जा रहा है। यह प्रतियोगिता पावरलिफ्टिंग प्रेमियों और खिलाड़ियों के लिए बड़े उत्साह और उम्मीदों के साथ देखी जा रही है।

निष्कर्ष

यश्तिका आचार्य की असामयिक मृत्यु ने पूरे खेल जगत को हिला कर रख दिया है। उनकी उपलब्धियाँ और जुनून आने वाले वर्षों में प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे। इस दुखद घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए, खेल समुदाय ने सुरक्षित प्रशिक्षण प्रक्रियाओं के महत्व पर पुनः जोर दिया है।

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