2006 Mumbai Bomb Blast Update, Mumbai Bomb Blast High Court Verdict, मुंबई बम धमाका केस, 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट, बॉम्बे हाईकोर्ट फैसला, MCOCA कोर्ट का फैसला, 19 साल बाद इंसाफ

मुंबई, 22 जुलाई (भाषा) — 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाकों के मामले में आरोपी 12 लोगों को बॉम्बे हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है। इनमें से पांच को पहले फांसी और सात को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन 19 साल तक जेल में बिताने के बाद अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है।
क्या था मामला?
11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सात धमाकों में 187 लोगों की मौत हुई थी और 800 से अधिक घायल हुए थे। इसके बाद महाराष्ट्र एटीएस ने 15 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें से 12 को आतंकी संगठनों से जोड़कर विशेष MCOCA कोर्ट में केस चलाया गया। 2015 में पांच को फांसी और सात को उम्रकैद की सजा हुई, लेकिन हाईकोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया।
2006 Mumbai Bomb Blast Update “एक भी सबूत काम का नहीं”
हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि 44,500 पन्नों के दस्तावेज, 250 गवाहों के बयान और 169 खंडों की जांच के बावजूद इन 12 आरोपियों का अपराध साबित नहीं हो सका। जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चंदक की बेंच ने 75 बैठकों में केस की सुनवाई की और पाया कि पुलिस ने सिर्फ कागजी कार्रवाई की, सच्चाई नहीं।
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“खूबसूरत जांच” का सच
2006 में तत्कालीन मुंबई पुलिस कमिश्नर ए.एन. रॉय ने कहा था कि यह “हाईली प्रोफेशनल इन्वेस्टिगेशन” है और आरोपियों को पाकिस्तान में प्रशिक्षित बताया था। लेकिन आज हाईकोर्ट ने उस दावे को खारिज कर दिया।
जिन्हें बरी किया गया:
- कमाल अहमद अंसारी
- मोहम्मद फैसल
- एहतेशाम सिद्दीकी
- नवेद हुसैन खान
- तनवीर अहमद
- मोहम्मद माजिद
- मोहम्मद शफी शेख
- सुहेल महमूद शेख
- जमीर अहमद लतीफ
- अताउर रहमान शेख
- मोहम्मद साजिद
- मोहम्मद इब्राहिम
2006 Mumbai Bomb Blast Update “19 साल की जिंदगी बर्बाद”
इनमें से कई डॉक्टर, इंजीनियर और दुकानदार थे, जिनकी जिंदगी जेल में कट गई। उनके वकीलों (जस्टिस एस. मुरलीधर, नित्या रामकृष्णन, युगमोहित चौधरी आदि) ने कहा कि सिस्टम ने इन्हें बिना सबूत सजा दी और समाज ने आतंकवादी का ठप्पा लगा दिया।
सवाल पुलिस और मीडिया पर
कोर्ट ने कहा कि आतंक के मामलों में पुलिस और मीडिया तुरंत आरोपियों को दोषी ठहरा देते हैं, जबकि जांच अधूरी होती है। इस केस ने साबित किया कि न्यायिक प्रक्रिया में गंभीर खामियां हैं और निर्दोषों को सजा मिलती है।
2006 Mumbai Bomb Blast Update क्या अब कार्रवाई होगी?
अब सवाल यह है कि क्या उन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी, जिन्होंने गलत जांच की? क्या मीडिया उन खबरों को दोहराएगा, जिनमें इन्हें आतंकी बताया गया था? यह मामला सिर्फ 12 लोगों की रिहाई नहीं, बल्कि हमारी न्याय प्रणाली पर एक बड़ा सवाल है।

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